भगवान शिव जी की पूजा ~
ऋषियों ने श्री सूत जी से पूछा दयानिधे! आप हमें भगवान शिव जी की पूजा की वह विधि बताइये, जिससे भगवान शिव संतुष्ट(प्रसन्न) होते हैं। वह पूजन कैसे करना चाहिये? आपने व्यासजी के मुखसे इस विषयको जिस प्रकार सुना हो, वह बताइये।
सूतजी बोले- मुनीश्वरो ! आपने बहुत अच्छी बात पूछी है। परंतु वह रहस्य की बात है। मैंने इस विषय को जैसा सुना है और जैसी मेरी बुद्धि है, उसके अनुसार कह रहा हूँ। जैसे आपलोग पूछ रहे हैं, उसी तरह पूर्वकाल में व्यासजी ने सनत्कुमार जी से पूछा था। फिर उसे उपमन्यु जी ने भी सुना था। व्यास जी ने शिवपूजन आदि जो भी विषय सुना था, उसे सुनकर उन्होंने लोकहित की कामना से मुझे पढ़ा दिया था। इसी विषयको भगवान श्रीकृष्ण जी ने महात्मा उपमन्यु जी से सुना था। पूर्वकाल में ब्रह्मा जी ने नारदजी से इस विषयमें जो कुछ कहा था, वही इस समय मैं आप लोगों से कहता हूँ। ब्रह्माजी ने कहा- नारद ! शिव के सुखमय, निर्मल, सनातन रूप के पूजन से समस्त मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। दरिद्रता, रोग, दुःख तथा शत्रुजनित पीड़ा- ये चार प्रकारके पाप(कष्ट) तभी तक रहते हैं, जब तक मनुष्य भगवान शिव जी का पूजन नहीं करता। भगवान शिव जी की पूजा होते ही सारे दुःख गायब हो जाते हैं और समस्त सुखोंकी प्राप्ति हो जाती है। तत्पश्चात समय आनेपर उपासक की मुक्ति भी होती है। जो मानव शरीर का आश्रय लेकर मुख्यतया संतान सुखकी कामना करता है उसे चाहिये कि वह सम्पूर्ण कार्यों और मनोरथोंके साधक महादेव जी की पूजा करे। सम्पूर्ण कामनाओं तथा प्रयोजनों की सिद्धि के लिए विधि के अनुसार भगवान शंकर जी की पूजा करनी चाहिए। प्रातःकाल ब्राह्म मुहूर्त में उठकर गुरु तथा शिव जी का स्मरण करके तीर्थोंका चिन्तन एवं भगवान विष्णु जी का ध्यान करे। फिर मेरा, देवताओं का और मुनि आदि का भी स्मरण-चिन्तन करके स्तोत्रपाठपूर्वक शंकर जी का विधिपूर्वक नाम ले। उसके बाद नित्यकर्म से निवृत होकर शुद्ध होकर सबसे पहले गणेश जी, शिव जी के द्वारपालों, दिक्पालों की भी भलीभाँति पूजा करके देवता के लिये पीठस्थान की कल्पना करे अथवा अष्टदल कमल बनाकर पूजाद्रव्य के समीप बैठे और उस कमल पर भगवान शिव जी को समासीन करे। तत्पश्चात आचमन प्राणायाम आदि करके भगवान शिव जी का ध्यान करे और विधिपूर्वक पूजन करे। जाति के अनुरूप कर्मों का उल्लंघन न करे। संपत्ति के अनुसार ही दान दे। जो कोई प्रतिदिन पूजन करता है, उसे अवश्य ही पग-पग पर सब प्रकारकी सिद्धि प्राप्त होती है। वह उत्तम वक्ता होता है तथा उसे मनोवांछित फल की निश्चय ही प्राप्ति होती है। रोग, दुःख, दूसरोंके निमित्त से होने वाला उद्वेग, कुटिलता तथा विष आदि के रूप में जो-जो कष्ट उपस्थित होता है, उसे कल्याणकारी परम शिव अवश्य नष्ट कर देते हैं। उस उपासक का कल्याण होता है। भगवान शंकर जी की पूजा से उसमें अवश्य सद्गुणोंकी वृद्धि होती है-ठीक उसी तरह, जैसे शुक्लपक्षमें चन्द्रमा बढ़ते हैं।
भगवान शिव जी को क्या अर्पण करें ~
भगवान ब्रह्मा जी ने कहा -मुनिश्रेष्ठ नारद ! जो लक्ष्मी प्राप्ति की इच्छा करता हो, वह कमल, बिल्वपत्र, शतपत्र और शंखपुष्प से भगवान शिव जी की पूजा करे। ब्रह्मन् ! यदि एक लाख की संख्या में इन पुष्पों द्वारा भगवान शिव जी की पूजा सम्पन्न हो जाय तो सारे पापों का नाश होता है और लक्ष्मी(धन ऐश्वर्य) की भी प्राप्ति हो जाती है। जो मोक्षकी अभिलाषा रखता है, वह (एक लाख) दर्भोद्वारा शिव जी का पूजन करे। मुनिश्रेष्ठ ! सर्वत्र लाख की ही संख्या समझनी चाहिये। आयु की इच्छा वाला पुरुष एक लाख दूर्वाओं द्वारा पूजन करे। जिसे पुत्रकी अभिलाषा हो, वह धतूरे के एक लाख फूलों से पूजा करे। लाल डंठल वाला धतूरा पूजनमें शुभदायक माना गया है। अगस्त्यके एक लाख फूलों से पूजा करनेवाले पुरुषको महान यशकी प्राप्ति होती है। करवीरके एक लाख फूल यदि उपयोग में लाये जायँ तो वे यहाँ रोगोंका उच्चाटन करनेवाले होते हैं। बन्धूक (दुपहरिया) के फूलोंद्वारा पूजन करने से आभूषण की प्राप्ति होती है। चमेलीसे पूजा करके मनुष्य वाहनोंको उपलब्ध करता है इसमें संशय नहीं है। अलसीके फूलों से महादेव जी का पूजन करनेवाला पुरुष विष्णु जी को प्रिय होता है। शमीपत्रों से पूजन करके मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर लेता है। बेला के फूल चढ़ानेपर भगवान शिव जी की कृपा से अत्यन्त शुभलक्षणा पत्नी प्राप्त होती है। जूही के फूलों से यदि महादेव जी की पूजा की जाय तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती। कनेर के फूलों से पूजन करने पर मनुष्यों को वस्त्र की प्राप्ति होती है। सेदुआरि या शेफालिका के फूलों से शिव जी का पूजन किया जाय तो मन निर्मल होता है। एक लाख बिल्वपत्र चढ़ाने पर मनुष्य अपनी सारी काम्य वस्तुएँ प्राप्त कर लेता है। श्रृंगारहार (हरसिंगार) के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होती है। वर्तमान ऋतु में पैदा होने वाले फूल यदि शिव जी की सेवा में समर्पित किये जायँ तो वे मोक्ष देनेवाले होते हैं, इसमें संशय नहीं है। राईके फूलों को एक-एक लाख की संख्यामें शिव जी के ऊपर चढ़ाया जाय तो भगवान शिव जी प्रचुर फल प्रदान करते हैं। चंपा और केवड़े को छोड़कर शेष सभी फूल भगवान् शिव जी को चढ़ाये जा सकते हैं। विप्रवर! महादेवजी के ऊपर चावल चढ़ाने से मनुष्यों की लक्ष्मी(धन समृद्धि) बढ़ती है। ये चावल अखण्डित(टूटे हुए नहीं) होने चाहिये और इन्हें उत्तम भक्तिभाव से शिव जी के ऊपर चढ़ाना चाहिये। भगवान शिव जी के ऊपर गन्ध, पुष्प आदि के साथ एक श्रीफल चढ़ाकर धूप आदि निवेदन करे तो पूजाका पूरा-पूरा फल प्राप्त होता है। तिलों द्वारा शिवजी को एक लाख आहुतियाँ दी जायँ अथवा एक लाख तिलों से शिव जी की पूजा की जाय तो वह बड़े-बड़े पातकों का नाश करने वाली होती है। जौ द्वारा की हुई शिव जी की पूजा स्वर्गीय सुखकी वृद्धि करनेवाली है, ऐसा ऋषियोंका कथन है। गेहूँ के बने हुए पकवान से की हुई शंकर जी की पूजा निश्चय ही बहुत उत्तम मानी गयी है। यदि उससे लाख बार पूजा हो तो उससे संतान की वृद्धि होती है। यदि मूँग से पूजा की जाय तो भगवान शिव जी सुख प्रदान करते हैं। प्रियंगु (कँगनी) द्वारा सर्वाध्यक्ष परमात्मा शिव जी का पूजन करने मात्र से उपासक के धर्म, अर्थ और काम-भोग की वृद्धि होती है तथा वह पूजा समस्त सुखोंको देनेवाली होती है। शिव पूजन का पूरा फल प्राप्त करने के लिए सदाचार का पालन और पाप कर्मों से भय होना अनिवार्य है।